ऐसा नहीं है कि मैं तुम को भूल जाती हूँ
ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हें भूल जाती हूँ
ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हें भूल जाती हूँ
तो क्या हुआ ज़िंदगी के रस्ते
ज़िंदगी में ख़्वाब को होना बहुत अहम होता है,
पूरे 20 सालों के बाद आज उसे देख रहा था। उसके चेहरे पर वही ताज़गी, वही मासूमियत अब भी बरकरार थी, जो आज से बीस साल पहले थी।
ये कहानी एक ऐसी लडकी की है, जो ज़िंदगी में आगे बढ़ना चाहती है; IAS बन देश सेवा करना चाहती है । लेकिन 12वीं
कुछ समय पहले की बात है,
#kahani
हो जाती हैं कुछ स्त्रियाँ खंडहर- नुमा मकानों की तरह,
कभी ग़म की धूप,
ज़िंदगी के सवालों में उलझोगे तो