कभी ग़म की धूप,
कभी ख़ुशियों की छाँव ज़िंदगी,
लगती जैसे हम- मिजाज़ ज़िंदगी,
कभी रुलाती, कभी हँसाती ज़िंदगी,
हैराँ करती, कभी परेशाँ करती ज़िंदगी
लगती सहेली सी नखरीली ज़िंदगी,
कभी रोती, कभी खिलखिलाती ज़िंदगी,
कभी बंजर ज़मीं सी लगती ज़िंदगी,
कभी ललहाती फसल सी लगती ज़िंदगी,
कभी जून की तपती दोपहर सी लगती ज़िंदगी,
कभी नवंबर की गुलाबी ठंड सी लगती ज़िंदगी,
कभी बारिश की पहली फुहार सी लगती ज़िंदगी,
कभी मौसमे- बहार सी लगती ज़िंदगी,
कभी तीखी, कभी फीकी, बेस्वाद सी लगती ज़िंदगी,
कभी मिठी और चटपटी सी लगती ज़िंदगी
हर रोज नई कहानी सुनाती सी लगती ज़िंदगी,
हौले-हौले माथे को प्यार से सहलाती ज़िंदगी,
कभी प्यार भरी थपकी देती, लोरी सुनाती ज़िंदगी,
कभी-कभी झकझोर कर नींद से जगाती ज़िंदगी,
कभी लगती दोस्त, कभी दुश्मन सी लगती ज़िंदगी,
कभी धूप,कभी ख़ुशियों की छाँव सी लगती ज़िंदगी,
कभी रोती, कभी ख़ुशी से खिलखिलाती सी ज़िंदगी।
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हर पल रंग बदलती ज़िंदगी
कभी ग़म की धूप,
Delightful Reading Experience
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Good evening
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